Milk Price Hike – देशभर में दूध की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिससे आम जनता पर महंगाई का एक और बोझ बढ़ गया है। हाल ही में डेयरी कंपनियों ने कच्चे माल और पशु चारे की बढ़ती लागत का हवाला देते हुए दूध के दाम में ₹2 से ₹4 प्रति लीटर तक की वृद्धि की घोषणा की है। अब अलग-अलग राज्यों में दूध के नए दाम लागू हो चुके हैं। दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में लोग अब पहले से ज्यादा कीमत पर दूध खरीदने को मजबूर हैं। यह बढ़ोतरी न केवल उपभोक्ताओं को प्रभावित करेगी बल्कि मिठाई और चाय जैसी रोजमर्रा की चीजों के दाम पर भी असर डाल सकती है।

देशभर में दूध की नई कीमतें और असर
नई कीमतों के लागू होने के बाद अधिकांश कंपनियों ने अपने दूध के दाम ₹2 से ₹4 प्रति लीटर तक बढ़ा दिए हैं। उदाहरण के तौर पर, अमूल ने अपने टोंड दूध की कीमत ₹54 से बढ़ाकर ₹56 प्रति लीटर कर दी है, जबकि फुल क्रीम दूध अब ₹64 की जगह ₹66 प्रति लीटर मिलेगा। मदर डेयरी और पारस जैसी कंपनियों ने भी इसी तरह की बढ़ोतरी की है। सरकार ने इस पर चिंता जताते हुए कहा है कि दूध उत्पादकों की आय तो बढ़ रही है, लेकिन उपभोक्ताओं पर इसका सीधा असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बढ़ोतरी पशु आहार और परिवहन लागत में इजाफे की वजह से हुई है।
दूध महंगाई से घरेलू बजट पर असर
दूध की कीमतों में वृद्धि का असर सीधे तौर पर आम परिवारों के बजट पर देखा जा रहा है। एक मध्यम वर्गीय परिवार जो रोजाना 2 से 3 लीटर दूध उपयोग करता है, उसके लिए यह खर्च अब हर महीने ₹150 से ₹200 तक बढ़ जाएगा। इसके साथ ही मिठाइयों, कॉफी, चाय और दूध से बने अन्य उत्पादों के दाम में भी बढ़ोतरी तय है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आने वाले महीनों में महंगाई पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो दूध जैसी आवश्यक वस्तुएं भी लोगों की पहुंच से बाहर हो सकती हैं। सरकार ने फिलहाल किसी राहत की घोषणा नहीं की है।
दूध उत्पादकों के लिए राहत या चुनौती?
जहां एक ओर उपभोक्ता बढ़ती कीमतों से परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर किसानों और दूध उत्पादकों के लिए यह खबर राहत भरी है। पिछले कुछ महीनों में चारे, बिजली, और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण उत्पादन लागत काफी बढ़ गई थी। ऐसे में कीमतों में यह बढ़ोतरी किसानों के नुकसान की भरपाई में मदद कर सकती है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अगर उपभोक्ता स्तर पर मांग में कमी आती है तो यह डेयरी उद्योग के लिए एक नई चुनौती बन सकती है। इस स्थिति में सरकार और कंपनियों दोनों को संतुलन बनाकर चलना होगा।
आगे क्या होगी दूध के दामों की स्थिति?
विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले महीनों में दूध के दामों में और भी वृद्धि हो सकती है अगर पशु आहार और परिवहन लागत में कमी नहीं आई। मानसून की स्थिति और ग्रामीण इलाकों में दूध उत्पादन भी दामों को प्रभावित कर सकता है। यदि सरकार सब्सिडी या सहायता नहीं देती है, तो आने वाले त्योहारी सीजन में दूध और उससे बने उत्पादों के दाम और बढ़ सकते हैं। उपभोक्ताओं को सलाह दी जा रही है कि वे स्थानीय डेयरियों से खरीदारी करें और बड़ी ब्रांड्स पर निर्भरता कम करें ताकि कुछ हद तक खर्च में कमी लाई जा सके।