EPFO अपडेट: रिटायरमेंट के बाद PF से कितनी पेंशन बनती है, क्या है सरकार की नई लिमिट

EPFO Pension Limit – EPFO के नए अपडेट ने रिटायरमेंट प्लानिंग करने वालों के लिए एक बड़ी राहत दी है। अब लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यह है कि सेवानिवृत्ति के बाद PF से कितनी पेंशन बनती है और सरकार ने नई लिमिट क्या तय की है। दरअसल, EPF यानी Employees’ Provident Fund एक ऐसा बचत फंड है जिसमें नौकरी के दौरान कर्मचारियों की ओर से योगदान किया जाता है और रिटायरमेंट के बाद इसका लाभ पेंशन और एकमुश्त राशि के रूप में मिलता है। EPFO ने हाल ही में पेंशन की गणना और अधिकतम लिमिट को लेकर कुछ बदलाव किए हैं, जिससे अब कर्मचारियों को बेहतर फायदा मिलने की उम्मीद है। यदि आपने 10 साल या उससे अधिक समय तक EPF में योगदान किया है, तो आप EPS (Employees’ Pension Scheme) के तहत मासिक पेंशन के हकदार होते हैं। इसके अलावा, पेंशन की राशि आपकी सेवा अवधि और अंतिम वेतन पर आधारित होती है। आइए अब विस्तार से जानते हैं कि इस नई लिमिट से किन्हें और कितना फायदा होगा।

EPFO Pension Limit
EPFO Pension Limit

सरकार की नई पेंशन लिमिट क्या है?

EPFO ने रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन को लेकर नई लिमिट तय की है। पहले EPF योगदान के लिए अधिकतम वेतन सीमा ₹15,000 थी, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर ₹21,000 कर दी गई है। इससे उन कर्मचारियों को अधिक पेंशन लाभ मिलेगा जिनका वेतन ₹15,000 से अधिक है। इसके तहत अब कर्मचारी अपने वास्तविक वेतन के अनुसार पेंशन योजना में शामिल हो सकते हैं, जिससे उन्हें भविष्य में अधिक पेंशन मिलेगी। EPFO का मानना है कि इस कदम से लाखों कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा मिलेगी। साथ ही, पेंशन की गणना करते समय सेवा काल, औसत वेतन और योगदान अवधि को आधार बनाया जाएगा। इस नई पॉलिसी के अनुसार पेंशन की गणना का फॉर्मूला भी बदला गया है, जिससे 10,000 रुपये तक की मासिक पेंशन मिलना संभव हो सकेगा। यह बदलाव 2025 से लागू किया जा सकता है और इसका सीधा फायदा मध्यवर्गीय कर्मचारियों को मिलेगा।

Also read
कीपैड के बजट में लॉन्च हुआ Nokia 1100! 12GB रैम, 7000mAh की बड़ी बैटरी के साथ पाएँ 65W का फास्ट चार्जर कीपैड के बजट में लॉन्च हुआ Nokia 1100! 12GB रैम, 7000mAh की बड़ी बैटरी के साथ पाएँ 65W का फास्ट चार्जर

PF से कितनी बनती है पेंशन – जानिए फॉर्मूला

पेंशन की गणना EPS स्कीम के फॉर्मूले के अनुसार की जाती है, जिसमें (औसत मासिक वेतन x सेवा के वर्षों की संख्या) / 70 का फॉर्मूला अपनाया जाता है। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी व्यक्ति का औसत वेतन ₹21,000 है और उसने 30 वर्षों तक योगदान किया है, तो उसकी पेंशन होगी: (21,000 x 30)/70 = ₹9,000 प्रतिमाह। हालांकि, इस फॉर्मूले में कुछ नियम हैं जैसे अधिकतम सेवा अवधि 35 वर्ष तक मानी जाती है और न्यूनतम पेंशन ₹1,000 प्रति माह है। यदि आपने नौकरी बदलते समय EPS खाता ट्रांसफर नहीं किया है, तो आपकी सेवा अवधि टूट सकती है जिससे पेंशन कम हो सकती है। इसलिए EPS खाता हमेशा एक ही UAN से लिंक होना जरूरी होता है। इस नई व्यवस्था में जिन कर्मचारियों का वेतन अधिक है, उन्हें पेंशन बढ़ाने के लिए Higher Pension Option का भी मौका मिल सकता है।

EPS Higher Pension का विकल्प कौन ले सकता है?

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद EPS Higher Pension का विकल्प शुरू किया है, जिससे कर्मचारियों को उनके वास्तविक वेतन के आधार पर पेंशन लेने की सुविधा मिलती है। यह विकल्प उन लोगों के लिए है जो EPS के तहत अधिक पेंशन चाहते हैं और जिनका वेतन ₹15,000 से अधिक है। इसके लिए कर्मचारी को पूर्व में EPFO को फॉर्म भरकर अनुरोध करना होता है। हालांकि, इस विकल्प को लेने के लिए पिछली अवधि का अतिरिक्त योगदान भी जमा करना पड़ता है। ऐसे में यह निर्णय लेने से पहले फायदे और लागत का पूरा विश्लेषण करना जरूरी है। जो कर्मचारी इस योजना में शामिल होते हैं, उन्हें भविष्य में ₹10,000 से ₹15,000 तक की मासिक पेंशन मिलने की संभावना होती है, जो सामान्य EPS पेंशन से कहीं अधिक है। लेकिन यह भी जरूरी है कि आपने लंबे समय तक योगदान दिया हो और EPS अकाउंट पूरी तरह अपडेट हो।

Also read
कौड़ियों के भाव में आई, Bajaj Platina 100 2.0 Bike! मिलेगा, 75 kmpl माईलेज और 102cc के पावरफुल इंजन के साथ स्मार्ट फीचर्स कौड़ियों के भाव में आई, Bajaj Platina 100 2.0 Bike! मिलेगा, 75 kmpl माईलेज और 102cc के पावरफुल इंजन के साथ स्मार्ट फीचर्स

EPF और EPS में क्या अंतर है?

EPF (Employees’ Provident Fund) और EPS (Employees’ Pension Scheme) दोनों ही कर्मचारी के लिए लाभकारी स्कीम हैं लेकिन दोनों का उद्देश्य अलग है। EPF में जमा राशि कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के योगदान से बनती है और यह एकमुश्त राशि के रूप में रिटायरमेंट के बाद मिलती है। वहीं EPS का उद्देश्य मासिक पेंशन देना होता है। EPF का योगदान कुल वेतन का 12% होता है जिसमें से नियोक्ता का 8.33% हिस्सा EPS में जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपकी सैलरी ₹21,000 है तो EPS में ₹1,750 प्रति माह तक का योगदान हो सकता है। EPS से मिलने वाली पेंशन आपकी सेवा अवधि और औसत वेतन पर आधारित होती है, जबकि EPF में आपको जमा राशि ब्याज सहित मिलती है। इसलिए नौकरी के दौरान दोनों में बैलेंस बनाए रखना जरूरी होता है ताकि रिटायरमेंट के बाद आप एकमुश्त राशि और मासिक पेंशन दोनों का लाभ ले सकें।

Share this news:
👉 नई सरकारी योजनाएँ 🚀